ग़ज़ल बुझे दिल पर मुसर्रत का कोई आलम नहीं होता हज़ारों...
ग़ज़ल
बुझे दिल पर मुसर्रत का कोई आलम नहीं होता
हज़ारों चांद हों फिर भी अंधेरा कम नहीं होता
ये ज़ख़्मे दिल किसी भी हाल में भरता...
कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता। जो दायित्व मिले, उसे पूरी निष्ठा...
कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता। जो दायित्व मिले, उसे पूरी निष्ठा तथा मनोयोग से करो सफलता तुम्हारे चरण चूमेगी
निष्ठा और परिश्रम
शेक्सपियर बचपन में ही...
कविता
कविता
मेरे प्यारे-प्यारे पापा,
मेरे दिल में रहते पापा |
मेरी छोटी सी खुशी के लिए,
सब कुछ स्नेह लगाते पापा।।
पूरी करते हर मेरी इच्छा,
उनके जैसा नही कोई...