नुसरत अतीक़ गोरखपुरी उनके हिस्से में कोई सुबह न शब होती है चाहने वालों की तक़दीर अजब होती है ।

नुसरत अतीक़ गोरखपुरी

उनके हिस्से में कोई सुबह न शब होती है

चाहने वालों की तक़दीर अजब होती है ।

मैं ने तमगा़ ये विरासत में नहीं पाया है

मेरी शोहरत मेरी मेहनत के सबब होती है ।

ख़ास बंदों को ही मिलती है इनायत तेरी

ऐरों गैरों पे नवाज़िश तेरी कब होती है ।

ज़िन्दगी जिस के भरोसे पे गुजा़री जाए

ऐसी चाहत की हर इक दिल को तलब होती है ।

 

इसकी तफ़सीर समझना भी है मुश्किल *नुसरत*

वक़्त जो लिखता है तहरीर ग़ज़ब होती है 

 

शब: रात

तमगा: मेडल

विरासत: उतराधिकार

सबब: कारण

नवाज़िश: कृपा

तफ़सीर: सारांश

तहरीर: लिखावट

 

नुसरत अतीक़ गोरखपुरी

 

विडियो देखिए

 

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