पर्यावरण पुस्तक से-

पर्यावरण पुस्तक से-

जो आता है।
वह जाता है।
जबसे गये पिता श्री मेरे,
कुछ भी नहीं सुहाता है।
जीवन की बारीकी ’’वर्मा’’
दर्शन शास्त्र बताता है।
आने-जाने का क्रम निश्चित,
फिर मन क्यों घबराता है?
समय-समय पर प्रकृति नटी का,
हमें संदेशा आता है।
दुख के क्षण में धीरज रक्खो,
अन्तर्मन समझाता है।

क्रमश: सर्वाधिकार सुरक्षित।

डा0 वी0 के0 वर्मा,
आयुष चिकित्साधिकारी
जिला चिकित्सालय-बस्ती।

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