सपने में पाश से बातचीत
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कविता की किसी कालजयी पंक्ति का
रातभर करते-करते इंतजार
लिखने की टेबल पर ही आ गई नींद
नींद की सत्ता में अपने लिए
थोड़ी-सी जगह बनाता हुआ
दबे पांव दाखिल हुआ सपना
सपने में आने के लिए
अपने को तराश ही रही थी कालजयी पंक्ति
कि उससे पहले नमूदार हो गए अवतार सिंह पाश
पुरखों की आकाशगंगा से आए सितारे की प्रशस्ति में
किसी मंत्र की तरह करने लगा
उनकी मशहूर कविता का पाठ-
हम लडेंगे साथी
उदास मौसम के लिए ।
‘कब लड़ोगे साथी ?’
पाश ने फेंका प्रश्न-पाश
और सपने में अटक गई
कवि की सांस
तीस जनवरी को पिंक सिटी फेस्ट
में स्पेशल गेस्ट हूं
वहां से लौटते ही बनाऊंगा प्रोग्राम
मतलब फरवरी में बजा दोगे बिगुल ?
फरवरी में तो कुछ ज्यादा ही मुश्किल है
14 को वैलेंटाइन लिटरेचर फेस्टिवल में
‘प्रेम और क्रांति’ पर देना है व्याख्यान
25 को काशी साहित्य समारोह में होना है मेरा सम्मान
मार्च में तो लड़ोगे महराज ?
अरे, मार्च में तो प्रजा फाउंडेशन का इनविटेशन है
तीन दिन के लिए जाना है प्रयागराज
अप्रैल में ?
इसी माह होता है उत्कल साहित्य संगमन
इस बार उड़ीसा जाने का बहुत है मन
मई ?
मराठवाड़ा महोत्सव !
सृजन के सरोकार और संकट।
छह महीने पहले ही आ चुका है हवाई टिकट
जून?
जामताड़ा-जमावड़ा
हाशिए के समाज पर विमर्श
जुलाई में क्या है भाई ?
साबुन साहित्य महाकुंभ
इसकी पंचलाइन बहुत लुभाती है मुझे
शरीर को साफ़ करता है साबुन
आत्मा को निर्मल करती है कविता
अगस्त में कहां रहोगे व्यस्त ?
आजादी का अमृत महोत्सव
कविता की एक शाम, शहीदों के नाम
मिलेगा अच्छा दाम
सितंबर ?
रूपगंधा लिटफेस्ट : साहित्य यहां से कहां तक
अक्तूबर ?
रंगारंग जगत रंग : सारे जहां तक
नवंबर?
अवध साहित्य महोत्सव में काव्य पाठ
दिसंबर?
मगध महाविमर्श : साहित्य में जात की गांठ
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फिर लड़ने की शुभ घड़ी कब आएगी साथी?
आप तो पीछे ही पड़ गए भाई
हमें नहीं भाती आप वाली लड़ाई
वो तो आपको खुश करने के लिए
गुनगुना दी थीं आप की दो काव्य पंक्तियां
लडने के लिए हमारे पास
दिनकर की एक प्रसिद्ध पंक्ति है
और अपनी एक ‘लाइन’ है
दोनों को मिलाकर मामला फाइन है,
याचना नहीं अब रण होगा
जिस माह न आमंत्रण होगा।
-अरुण आदित्य