हवा चूमती है फूल को और फिर नहीं रह जाती है वही हवा..

हवा चूमती है फूल को और फिर नहीं रह जाती है वही हवा..

उत्तर प्रदेश। कुशीनगर धरा का स्वप्न हरा है कविता संग्रह की कविता ‘हवा चूमती है फूल को और फिर नहीं रह जाती है वही हवा, कि उसके हर – झोके पर फूल ने लगा दी है अपनी मुहर और फूल भी कहां रह गया है वहीं फूल, कि उसकी एक-एक पंखुड़ी पर हवा ने लिख दी है सिहरन’ सुनाकर वरिष्ठ कवि ‘अरुण आदित्य ने खूब वाहवाही बटोरी।

मौका था उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ और प्रेमचंद साहित्य संस्थान गोरखपुर की ओर से संयुक्त रूप से 6 और 8 अक्तूबर तक तीन दिवसीय राजकीय बौद्ध संग्रहालय कुशीनगर में वरिष्ठ कवि अरुण आदित्य ने पढ़ीं कविताएं,राष्ट्रीय संगोष्ठी का

वरिष्ठ कवि उदय प्रकाश की अध्यक्षता वाले दूसरे सत्र में कवियों ने अपनी कविता पाठ किया। इसी दौरान अपनी कविता पाठ किया। इसी दौरान संपादक रहे वरिष्ठ कवि अरुण आदित्य ने कविता ‘लोटे’ का पाठ किया। उदय प्रकाश, अष्टभुजा शुक्ल, अनिल राय, निशांत, दिनेश तिवारी, अनिल त्रिपाठी, नलिन रंजन सिंह,

वंदना शाही आदि ने भी अपनी कविताएं पढ़ीं। राजकीय बौद्ध संग्रहालय में संगोष्ठी के प्रथम सत्र में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व आचार्य डॉ. अवधेश प्रधान की अध्यक्षता में ‘केदारनाथ सिंह’ की कविता में बुद्ध” विषय पर साहित्यिक हस्तियों ने विचार व्यक्त किए। वरिष्ठ आलोचक रघुवंश मणि, ब्रजराज सिंह, प्रो. मधुप ने बुद्ध और केदारनाथ के जीवन व साहित्य पर रोशनी डाली। प्रेमचंद साहित्य संस्थान के निदेशक प्रो. सदानंद शाही ने विषय प्रवर्तन किया था।

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