दया,सत्य,ज्ञान और दान धर्म के चार पैर हैं:आचार्य पंडित ज्ञानचंद्र द्विवेदी। -भिटहॉ गॉव में पंडित सूर्य नारायण चतुर्वेदी की स्मृति में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन का प्रसंग।

-दया,सत्य,ज्ञान और दान धर्म के चार पैर हैं:आचार्य पंडित ज्ञानचंद्र द्विवेदी।
-भिटहॉ गॉव में पंडित सूर्य नारायण चतुर्वेदी की स्मृति में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन का प्रसंग।

 

उत्तर प्रदेश संत कबीर नगर

—-भिटहॉ गॉव में पंडित सूर्य नारायण चतुर्वेदी की स्मृति में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास पंडित ज्ञानचंद्र द्विवेदी ने कहा कि धर्म के चार पैर हैं दया,सत्य,ज्ञान और दान।लेकिन कलियुग में दान का विशेष महत्व है,ऐसा शास्त्रों मे कहा गया है।
उन्होंने आगे कहा कि महाभारत समाप्त होने के बाद भीष्म ने श्रीकृष्ण से वरदान मांगा कि जबतक उनके प्राण न निकलें वे वहीं उनके सम्मुख ही रहें।सूर्य उत्तरायण होने पर भीष्म अपने प्राण का त्याग करते हैं।उनके शरीर से एक ज्योति निकलती है जो श्रीकृष्ण में समाहित हो जाती है।दूसरी ओर कुछ दिन राज करने के बाद पांडव भी अपने राज का परित्याग कर परिक्षित को राज सौंप देते हैं और खुद पॉचो पांडव वन की ओर प्रस्थान करते हैं।इधर राजा परिक्षित धर्म के अनुरूप राज्य चलाते हैं प्रजा भी बहुत खुश थी।एक दिन उन्होंने एक कृष गाय और बैल को एक व्यक्ति द्वारा पिटाई करते देखते हैं।उन्हे क्रोध आता है और उस व्यक्ति को तलवार लेकर मारने के लिए आगे आते हैं।पूछने पर ज्ञात हुआ कि वह कलियुग है। उसने राजा परिक्षित से अपना स्थान मांगा जिसमें स्वर्ण भी एक स्थान था।जब राजा परिक्षित स्वर्ण का मुकुट धारण करते हैं।तब कलियुग उनके सर पर आरूढ़ हो जाता है और राजा को शिकार करने के लिए प्रेरित करता है।दयावान और धर्म की राह पर चलने वाला राजा परिक्षित जंगल में शिकार करने पहुचते हैं।और समाधिस्थ ऋषि से पानी मॉगते हैं।उत्तर न मिलने पर कलियुग के प्रभाव से वे ऋषि के गले में मरा हुआ सर्प डाल देते हैं।ऋषि का पुत्र श्रिंगी जब पिता के गले में मरा हुआ सर्प देखते हैं तो क्रोध में आकर परिक्षित का श्राप देते हैं कि सातवें दिन राजा परिक्षित तक्षक सर्प के डंसने से मृत्यु को प्राप्त हो जाएंगे।कथा वाचक पंडित ज्ञानचंद्र द्विवेदी ने कहा कि सत्कर्म और दान से ही ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।भगवत महापुराण के श्रवण से जन्म जन्मांतर के पाप मिट जाते हैं।कथा के शुरुआत में यजमान माता श्रीमती चंद्रावती देवी के साथ सूर्या के एमडी डा0उदय प्रताप चतुर्वेदी,पूर्व प्रमुख राकेश चतुर्वेदी,रत्नेश चतुर्वेदी,राजन चतुर्वेदी और रजत चतुर्वेदी ने व्यास गद्दी पर विराजमान पंडित ज्ञानचंद्र द्विवेदी का माल्यार्पण किया।और व्यास पीठ की आरती उतारी।इस दौरान मौजूद पंडित और आचार्यों को अंगवस्त्र और धन,दान देकर उनका आशिर्वाद लिया।कथा के दौरान सूर्या की प्रबंध निदेशिका सविता चतुर्वेदी,राजन इंटरनेशनल की एमडी शिखा चतुर्वेदी,प्राचार्य वेद प्रकाश पांडेय,एसआर के सह प्रबंधक मनोज पांडेय,व्यापारी नेता पुष्कर चौधरी, युवा समाजसेवी दानिश खान सहित कई लोग मौजूद रहे।

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