यज्ञ से जैसा लाभ होता है अन्य किसी कार्य से नहीं होता:आचार्य ज्ञानचंद
संतकबीरनगर। नाथनगर ब्लाॅक के भिटहा में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा का समापन शनिवार को हुआ। इस दौरान कथा वाचक आचार्य ज्ञानचंद द्विवेदी ने कहाकि जब घर-घर में नित्य यज्ञ और सामूहिक रूप से बड़े-बड़े यज्ञ हों तो आध्यात्मिक और भौतिक वातावरण शुद्ध पवित्र वायु से भर जाता है। अग्रि में डाला हुआ पदार्थ नष्ट नहीं होता है और सूक्ष्म होकर फैल जाता है।
उन्होंने कहाकि यज्ञ करने से देवता प्रसन्न होते है और आशीर्वाद देते है। यज्ञ वेदों से प्राप्त हुआ एक शब्द है। इसका अर्थ होता है श्रेष्ठ व उत्तम कर्म। श्रेष्ठ कर्म वह होता है जिससे किसी को किसी प्रकार की हानि न हो अपितु दूसरों व स्वयं को भी अनेक लाभ हों। यज्ञ से जैसा लाभ होता है वैसा अन्य किसी कार्य से नहीं होता। यज्ञ से मनुष्यों को संसार की सबसे मूल्यवान वस्तु शुद्ध प्राणवायु की प्राप्ति होती है। मनुष्य के जीवन में वायु, जल, अग्नि सहित अन्न, भोजन, वस्त्र, ज्ञान तथा परस्पर सहयोग की भावना का महत्व होता है। वायु इन सभी पदार्थों में सबसे अधिक मूल्यवान पदार्थ है। इसका कारण यह है कि यदि हमें शुद्ध वायु प्राप्त न हो तो हम एक या दो मिनट में ही मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। वायु शुद्धि सहित रोग शमन एवं आरोग्य के साथ हमें आध्यात्मिक एवं वह सब लाभ प्राप्त होते हैं जिसकी हम ईश्वर से अपेक्षा करते हैं। यज्ञ करने से ईश्वर की आज्ञा का पालन होता है। इससे ईश्वर हमें हमारे यज्ञ रूपी शुभ कर्म का सुख रूपी फल जो हमारी अपेक्षा व आवश्यकताओं के अनुरूप होता है, प्रदान करता है। इस अवसर पर पूर्व विधायक दिग्विजय नारायण उर्फ जय चौबे, डॉ उदय प्रताप चतुर्वेदी, राकेश चतुर्वेदी, जयराम पांडेय, माया राम पाठक, जिला पंचायत अध्यक्ष बलिराम यादव समेत अन्य मौजूद रहे।