आवासीय बैनामों का दाखिल-खारिज अटका, उपभोक्ता परेशान।

आवासीय बैनामों का दाखिल-खारिज अटका, उपभोक्ता परेशान।

संतकबीरनगर, ।

जिले में चार महीनों से 2200 से अधिक आवासीय बैनामों का दाखिल-खारिज अटक गया है, जिससे उपभोक्ताओं को बैंक ऋण लेने और विवाद निस्तारण में दिक्कत हो रही है। परेशान उपभोक्ता रजिस्ट्री कार्यालय और तहसीलों के चक्कर काट रहे हैं। 

रजिस्ट्री कार्यालय के जानकारों के अनुसार, शासन के नए नियमों के तहत 1 जनवरी 2025 से बैनामों के अभिलेख स्कैन कर पोर्टल पर अपलोड किए जाते हैं, जो तहसीलदार को ऑनलाइन ट्रांसफर होते हैं। हालांकि, पोर्टल के सॉफ्टवेयर में केवल कृषि बैनामों को अंतरित करने का विकल्प है, जबकि अकृषि और आवासीय बैनामों के लिए यह सुविधा नहीं है। इस तकनीकी खामी के कारण आवासीय बैनामों का दाखिल-खारिज रुका हुआ है। 

सहायक महानिरीक्षक निबंधन ज्ञानेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि यह समस्या पूरे प्रदेश में है। पूर्व डीएम ने 25 मार्च को प्रमुख सचिव, स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग को पत्र भेजकर समाधान की मांग की थी। उप निबंधक जय प्रकाश ने भी सॉफ्टवेयर की कमी को मुख्य वजह बताया। 

जानकारी के मुताबिक, जनवरी 2025 से अब तक खलीलाबाद, मेंहदावल और धनघटा रजिस्ट्री कार्यालयों में 5700 बैनामे हुए, जिनमें 2200 आवासीय हैं। खलीलाबाद के संजय कुमार ने शिकायत की कि ढाई माह पहले किया उनका आवासीय बैनामा अभी तक दाखिल-खारिज नहीं हुआ, जिससे परेशानी हो रही है। 

शासन की पेपरलेस व्यवस्था का मकसद उपभोक्ताओं को भागदौड़ से राहत देना था, लेकिन तकनीकी दिक्कतों ने इसे उल्टा कर दिया। उपभोक्ताओं ने जल्द समाधान की मांग की है, ताकि बैंक ऋण और विवाद निस्तारण में आसानी हो।

सांकेतिक तस्वीर

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