बिहार के जातीय जनगणना में यादव सबसे आगे

पटना : राजपूत 3.45%, भूमिहार 2.86%, ब्राह्मण 3.65%, नौनिया 1.9%, कुर्मी 2.87%, कुशवाहा 4.27%, धानुक 2.13%…, ये आंकड़े बिहार जाति जनगणना की रिपोर्ट से निकले हैं. इन आंकड़ों में गौर करने लायक यह है कि सभी 10 फीसदी से कम यानी इन जातियों की आबादी दहाई में भी नहीं है. वहीं इन सबके उलट बिहार में सिर्फ एक ऐसी जाति का आंकड़ा सामने आया है, जो तमाम सवर्ण हो या गैर-सवर्ण सभी जाति या उपजातियों की संख्या पर भारी है.

 

जी हां, आपने अगर बिहार कास्ट सेंशस की रिपोर्ट पर गौर किया हो, तो समझ गए होंगे कि प्रदेश में सिर्फ एक ही जाति है जो आबादी की दृष्टि से सबसे प्रभावशाली मानी जा सकती है. इस जाति का नाम है यादव, जिसकी जनसंख्या बिहार में 14.26% है. बिहार जातिगत सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के 27.12 प्रतिशत, अति पिछड़ा वर्ग 36.01% और 15.52% आबादी अन्य पिछड़ों की है. वहीं अनारक्षित वर्ग यानी सवर्णों की कुल आबादी 15.52 फीसद है. मतलब यह कि बिहार में जनसंख्या के आधार पर यादव और सवर्णों की भागीदारी लगभग बराबर है.

मुसलमान 18 और हिंदू 82 प्रतिशत

बिहार जातीय जनगणना रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश की कुल आबादी में मुसलमानों की आबादी लगभग 18 प्रतिशत (17.7%) है. वहीं हिंदुओं की जनसंख्या 82 प्रतिशत है. राज्य में 10 करोड़ से अधिक की आबादी हिंदुओं की है. समुदायों की बात करें तो जैन समुदाय की जनसंख्या (12523) सबसे कम है. इसके ऊपर सिख (14753), बौद्ध (111201) और ईसाइयों की आबादी 75238 है.

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यह है अहम रिपोर्ट

बिहार की जाति जनगणना के ये आंकड़े, प्रदेश की राजनीति के साथ-साथ देश की सियासत को भी प्रभावित करने वाले माने जा रहे हैं. दरअसल, इस साल 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद अगले साल 2024 में लोकसभा चुनाव भी होना है. जातिगत सर्वे रिपोर्ट जारी होने के बाद सूत्रों के हवाले से यह दावा भी किया गया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मंशा है कि विपक्षी INDIA गठबंधन आगामी लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे को प्रमुख एजेंडा बनाए. कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार अगले कुछ दिनों में इस मुद्दे पर विभिन्न दलों के साथ बातचीत कर सकते हैं.

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