कुशीनगर में धूमधाम से मनाया गया विश्व आदिवासी दिवस, बिरसा मुंडा के आदर्शों पर चलने का आह्वान: सावधानियां और अपील

 कुशीनगर में धूमधाम से मनाया गया विश्व आदिवासी दिवस, बिरसा मुंडा के आदर्शों पर चलने का आह्वान: सावधानियां और अपील

 

कुशीनगर । जिले में शनिवार, 9 अगस्त 2025 को विश्व आदिवासी दिवस धूमधाम से मनाया गया। अखिल भारतीय गोंड आदिवासी संघ की जनपद शाखा के तत्वावधान में रबिन्द्र नगर स्थित सर्किट हाउस में अपराह्न 2 बजे आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग शामिल हुए। मुख्य अतिथि जिला संरक्षक डॉ. के. पी. गोंड और विशिष्ट अतिथि पूर्व शाखा प्रबंधक गिरजेश प्रसाद गोंड (उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक) थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष गोरख प्रसाद गोंड ने की, जबकि संचालन जिला महासचिव मनोज कुमार गोंड ने किया।

 

समारोह की शुरुआत धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के चित्र पर माल्यार्पण से हुई। मुख्य अतिथि डॉ. के. पी. गोंड ने कहा कि आज पूरे विश्व में जल, जंगल और जमीन के रक्षकों को याद किया जाता है। उन्होंने आदिवासी एकता को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया। विशिष्ट अतिथि गिरजेश प्रसाद गोंड ने आदिवासी समाज को आत्मनिर्भर बनाने पर बल दिया। प्रदेश महासचिव बिन्देश्वरी प्रसाद गोंड ने विश्व आदिवासी दिवस के महत्व को विस्तार से बताया और बिरसा मुंडा के आदर्शों पर चलने का आह्वान किया। प्रदेश उपाध्यक्ष प्रीतमनाथ गोंड ने स्पष्ट किया कि 9 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मान्यता दी गई, जिसका श्रेय बिरसा मुंडा को जाता है। जिलाध्यक्ष गोरख प्रसाद गोंड ने कहा कि एकजुटता के बिना आदिवासी समाज अपने अधिकार नहीं पा सकता।

 

कार्यक्रम में ब्रजनारायण गोंड, अक्षयबर लाल गोंड, बिनोद कुमार गोंड समेत अन्य वक्ताओं ने विचार रखे। मौके पर रत्नेश कुमार गोंड, दिलीप गोंड, मदन कुमार गोंड, एड. धीरज कुमार गोंड, डॉ. दीपक गोंड, अरविंद कुमार गोंड सहित अनेक लोग उपस्थित रहे। यह आयोजन आदिवासी संस्कृति, अधिकारों और एकता को बढ़ावा देने का प्रतीक बना।

 

विश्व आदिवासी दिवस का महत्व सिर्फ उत्सव तक सीमित नहीं है; यह आदिवासी समुदायों की चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करता है। सावधानियां अपनाकर हम इन चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। सबसे पहले, जल, जंगल और जमीन की रक्षा करें। अवैध कटाई, खनन और औद्योगिक गतिविधियों से पर्यावरण को बचाएं, क्योंकि ये आदिवासी जीवन का आधार हैं। आदिवासी संस्कृति को संरक्षित रखें परंपरागत ज्ञान, भाषा और रीति-रिवाजों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाएं। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करें, ताकि समुदाय आत्मनिर्भर बने। राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर एकजुट रहें, क्योंकि विभाजन से अधिकार छिन सकते हैं। महिलाओं और बच्चों के अधिकारों पर विशेष ध्यान दें, बाल विवाह, शोषण और अंधविश्वास से बचें। सरकारी योजनाओं का सही उपयोग करें, लेकिन भ्रष्टाचार से सतर्क रहें।

 

लोगों से अपील है कि बिरसा मुंडा के आदर्शों को अपनाएं। आदिवासी समाज एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाएं। गैर-आदिवासी समुदाय से अनुरोध है कि आदिवासियों के संघर्ष को समझें और समर्थन दें। सरकार से अपील कि आदिवासी क्षेत्रों में विकास योजनाएं पर्यावरण अनुकूल हों। शिक्षा संस्थानों में आदिवासी इतिहास को शामिल करें। युवाओं से कहना चाहूंगा कि सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाएं और एकता का संदेश दें। पर्यावरण संरक्षण में सभी भाग लें पेड़ लगाएं, जल स्रोतों को साफ रखें। याद रखें, आदिवासी समुदाय प्रकृति का अभिन्न हिस्सा है; उनकी रक्षा पूरे समाज की रक्षा है। आइए, विश्व आदिवासी दिवस को सच्ची श्रद्धांजलि दें और एक समावेशी समाज बनाएं। 

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