नमक कम करते ही उच्च रक्तचाप में आया सुधार
लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित हुआ एम्स देवघर से पहला शोध पत्र
भोजन में नमक की मात्रा कम करने से उच्च रक्तचाप में भी सुधार हो सकता है। हाल ही में भारतीय लोगों पर हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। मेडिकल जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित झारखंड के देवघर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के इस पहले अध्ययन में शोधकर्ताओं ने ‘स्वाद संशोधन’ रणनीति के साथ नमक को कम करने की तकनीक को सामने रखा है। इसके मुताबिक, भोजन में मसाले और जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल बढ़ाने से स्वतः ही नमक की मात्रा में कमी आने लगेगी। इस तरह धीरे-धीरे नमक सीमित होने से उच्च
रक्तचाप को नियंत्रण में लाया
जा सकता है।
भारत में हर चौथे व्यक्ति के उच्च रक्तचाप से ग्रस्त होने का अनुमान है। इनमें हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक जैसे जोखिम होने की आशंका अधिक होती है।
अध्ययन में रक्तचाप रोगियों के लिए ‘स्वाद संशोधन’ रणनीति का प्रस्ताव
आदत बदलना मुश्किल नहीं
अध्ययन में यह भी कहा गया कि हल्दी, काली मिर्च और अदरक जैसी चीजों का उपयोग उच्च रक्तचाप की रोकथाम के लिए एक संभावित रणनीति हो सकती है। इनसे भोजन की आदतों को बदलने में मदद मिल सकती है। नमक के सेवन में मामूली कमी समय के साथ उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है।
अन्नप्राशन से नमक का लगाव
अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय व्यंजनों में कई प्रकार के क्षेत्रीय और पारंपरिक व्यंजन शामिल हैं। भारत में लोग नमक को पोषक तत्व कम, बल्कि स्वाद के रूप में ज्यादा समझते हैं। नमकीन स्वाद वाली चीजों के प्रति संवेदनशीलता और इच्छा उनमें तब शुरू हो जाती है, जब छह माह के शिशु का अन्नप्राशन होता है। जैसे-जैसे वह बड़ा होता है, नमक के साथ उसका लगाव भी बढ़ता है।
गैर संचारी रोगों का जोखिम होगा कम
स्वाद संशोधन रणनीति के अनुसार अगर उच्च रक्तचाप नियंत्रण में आएगा, तो न सिर्फ स्वास्थ्य, बल्कि कई अन्य स्थितियों में भी बदलाव होगा। इससे देश में सालाना 63% मौतों के लिए जिम्मेदार गैर संचारी बीमारियों का जोखिम कम किया जा सकता है। बीमारियों पर होने वाला खर्च भी कम होगा। एम्स के वरिष्ठ डॉ. सुदीप भट्टाचार्य के अनुसार, ‘स्वाद संशोधन रणनीति को अलग-अलग अस्पतालों में नैदानिक परीक्षणों का उपयोग करके मान्य किया जाना चाहिए।















