स्पर्श हास्पिटल के जरिए लोगों को उत्तम स्वास्थ्य दे रहे डाॅ राकेश चौधरी।
– 2008 में की थी स्पर्श हास्पिटल की स्थापना
– 16 साल में कर चुके हैं 55 से 60 हजार आपरेशन
– डाॅ चौधरी की शल्य क्रिया के उपर लोगों का विश्वास
– लाखों लोगों को दे चुके हैं बेहतर आरोग्य का परामर्श
– जिले का एक मात्र राष्ट्रीय मानक प्राप्त हॉस्पिटल
उत्तर प्रदेश। संतकबीरनगर।
कम खर्च में क्षेत्रवासियों को बेहतर इलाज देने के लिए संकल्पित डाॅ राकेश चौधरी ने चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में बेहतर कीर्तिमान बनाया है। अपने 16 साल के सेवाकाल में उन्होंने अब तक तकरीबन 55 से 60 हजार लोगों का आपरेशन करके उनको रोगमुक्त किया है।
संतकबीरनगर जनपद के खलीलाबाद ब्लाक के बन्हैता गांव के मूल निवासी तथा सेना के मेडिकल कोर में अपनी सेवाएं दे चुके मुक्तनाथ चौधरी के पुत्र डाॅ राकेश चौधरी अब तक लाखों लोगों को बेहतर आरोग्य का परामर्श दे चुके हैं।
एमबीबीएस और एमएस करने के साथ ही सीनियर रेजीडेंट का कार्य कर चुके डाॅ राकेश चौधरी के पास अनेक अवसर थे। लेकिन देश प्रेमी पिता को अपनी माटी से बेहद लगाव था। उन्होंने पुत्र को यह सीख दी कि अपनी माटी में रहकर अपने क्षेत्र के लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएं। इसके बाद डाॅ राकेश ने अपने गांव से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या NH 28 पर 2008 में अपने बडे पुत्र स्पर्श चौधरी के नाम पर स्पर्श हास्पिटल की स्थापना की। स्थापना के बाद से ही स्पर्श हास्पिटल ने सेवा के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करना प्रारंभ किया। डाॅ चौधरी पर लोगों का ऐसा विश्वास हुआ कि उनके कार्य का यश चारो तरफ फैलने लगा। आज स्थिति यह है कि पूर्वांचल के विभिन्न जनपदों के साथ ही बिहार राज्य तथा पडोसी देश नेपाल से भी मरीज सस्ते और बेहतर इलाज के लिए आते हैं। निरन्तर नई तकनीक का प्रयोग करने वाले डाॅ चौधरी के हास्पिटल में वर्तमान में लेजर तकनीक से कम दर्द का आपरेशन किया जाता है। यही नहीं आपरेशन के बाद मरीज तुरन्त ही अस्पताल से छुटटी भी पा जाते हैं और अस्पताल में ठहरने का अतिरिक्त खर्च भी उनको नहीं देना पडता है। एक दिन में छुटटी, सबसे अधिक सफल आपरेशन, सबसे कम खर्च में इलाज, आपरेशन के दौरान कम खून का निकलने की गारंटी देने वाले डाॅ राकेश चौधरी निसन्देह मरीजों के लिए चिकित्सकों के भगवान होने की उक्ति को चरितार्थ कर मानवता का कल्याण कर रहे हैं।
हास्पिटल में उपलब्ध सुविधाएं
– आयुष्मान कार्ड पर निशुल्क इलाज की सुविधा
– लेजर व स्टेपलर विधि द्वारा समस्त आपरेशन की सुविधा
– स्त्री व प्रसूति रोग के तहत प्रसव की सुविधा
– शरीर के हर अंग में पथरी व अन्य आपरेशन की सुविधा
– सभी प्रकार के आपरेशन दर्दमुक्त किए जाते हैं।
– निशुल्क स्वास्थ्य शिविर के जरिए स्वास्थ्य परामर्श
गर्भवतियों की सेवा में जुटीं पत्नी डाॅ अनुराधा
डाॅ राकेश चौधरी की पत्नी डाॅ अनुराधा सिंह स्त्री व प्रसूति रोग विषेशज्ञ हैं। 2002 में डाॅ राकेश से विवाह होने के बाद ही वह उनके कंधे से कंधा मिलाकर चलने लगीं। चिकित्सालय बनने के बाद से ही वह निरन्तर क्षेत्र की गर्भवतियों को स्वास्थ्य लाभ देने में जुटी हुई हैं। उन्होंने अब तक हजारों महिलाओं का सफलतापूर्वक प्रसव कराया है तथा उनको मां बनने का सौभाग्य प्रदान किया है। यही नहीं परिवार की जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन करते हुए पुत्रों को कामयाबी के शिखर पर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मां को बच्चों का प्रथम गुरु कहा गया है। इस उक्ति का भी वह चरितार्थ करती नजर आ रही हैं।
देश के सैनिकों की सेवा करते थे पिता मुक्तनाथ
डाॅ राकेश चौधरी के पिता मुक्तनाथ चौधरी भारतीय सेना के मेडिकल कोर में कार्यरत थे। उन्होंने भारतीय सेना की विभिन्न डिवीजन में रहते हुए हमेशा देश की सेवा करने वाले भारत मां के वीर सपूतों को निरन्तर स्वास्थ्य लाभ देते रहे।
बेटा स्पर्श कर रहा एम्स दिल्ली से एमबीबीएस
डाॅ चौधरी के दो पुत्र हैं। वह दोनों भी अपने दादा और माता- पिता की तरह से सेवा के क्षेत्र में जाना चाहते हैं। बड़े पुत्र स्पर्श चौधरी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली से एमबीबीएस कर रहे हैं। वहीं छोटे पुत्र अंश चौधरी वर्तमान में आठवीं कक्षा के छात्र हैं। वह भी अपने स्वजनों की तरह ही मेडिकल सेवा के क्षेत्र में जाने के लिए प्रयासरत हैं।
एचआर इंटर कालेज से की थी पढ़ाई
डाॅ राकेश चन्द्र चौधरी ने प्रारंभिक शिक्षा गांव से पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने हीरालाल रामनिवास इंटर कालेज, खलीलाबाद से 1990 में हाईस्कूल तथा 1992 में उस समय इंटरमिडिएट पास किया था, जब पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का नकल विरोधी अध्यादेश चल रहा था और रिजल्ट मात्र 14 प्रतिशत ही गया था। इसके बाद उन्होंने सीपीएमटी की परीक्षा पास की तथा किंग जार्ज मेडिकल कालेज लखनऊ में एमबीबीएस में दाखिला लिया। वर्ष 2000 में एमबीबीएस का कोर्स पूरा करने के बाद वह मास्टर आफ सर्जरी के लिए लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज मेरठ गए तथा मौलाना आजाद मेडिकल कालेज दिल्ली में सीनियर रेजीडेंट रहे।