बीर बहादुर की धरती पर गूंजा दमदार नारा: “भारत माता की जय… पहलवान की जय!”

बीर बहादुर की धरती पर गूंजा दमदार नारा: “भारत माता की जय… पहलवान की जय!”

गोरखपुर 

बीर बहादुर सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज के ऐतिहासिक मैदान पर आज सुबह कुछ ऐसा हुआ जो गोरखपुर ने पहले कभी नहीं देखा। 69वीं राष्ट्रीय विद्यालयीय कुश्ती प्रतियोगिता (ग्रीको रोमन स्टाइल) का भव्य शुभारंभ हुआ तो पूरा स्टेडियम “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम” के नारों से गूंज उठा।

दीप प्रज्ज्वलन के साथ परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने उद्घाटन किया तो सदर सांसद रवि किशन ने मंच से गरजे, “ये गोरखपुर अब सिर्फ गोरखनाथ की नगरी नहीं, भारत के पहलवानों का गढ़ बनेगा!”

23 राज्यों के 393 जांबाज़ पहलवान, 17 और 19 वर्ष आयु वर्ग में, एक-दूसरे को पटखनी देने के लिए तैयार। हरियाणा का दमखम, पंजाब का जोश, उत्तर प्रदेश का जुनून, तमिलनाडु की तकनीक – सब एक ही अखाड़े में। 81 कोच, 30 रेफरी, 12 तकनीकी टीमें – कुल मिलाकर पूरा मैदान युद्धक्षेत्र बन गया, लेकिन अनुशासन और खेलभावना का युद्धक्षेत्र।

मार्च पास्ट देखते ही बनता था। जब हर राज्य की टीम अपने झंडे और बैंड के साथ मैदान में कदमताल कर रही थी, तो लगा मानो पूरा भारत एक लय में सांस ले रहा हो। तालियों की गड़गड़ाहट इतनी जोरदार थी कि दूर तक सुनाई दे रही थी।

फिर आया सांस्कृतिक रंग।  

ज्योति इंटर कॉलेज की बच्चियों ने ऐसा नृत्य किया कि पहलवान भी थिरकने लगे। बेसिक शिक्षा परिषद के बच्चों ने योग और पीटी दिखाया तो लगा पूरा स्टेडियम सूर्य नमस्कार कर रहा है। एडी कन्या इंटर कॉलेज की छात्राओं की सरस्वती वंदना ने वातावरण को पवित्र कर दिया।

कुश्ती महाकुंभ की स्मारिका का लोकार्पण हुआ – वो किताब जो आने वाली पीढ़ियों को बताएगी कि 2025 में गोरखपुर ने कैसे इतिहास रचा।

जेडी सतीश सिंह और डीआईओएस डॉ. अमरकांत सिंह ने दिन-रात एक कर दिया था। खिलाड़ियों के लिए होटल जैसे हॉस्टल, घर जैसा खाना, बसें तैयार, सुरक्षा चुस्त – एक भी शिकायत न आए, यही मकसद था।

मंडलायुक्त अनिल ढींगरा और डीएम दीपक मीणा खुद हर व्यवस्था पर नजर रखे हुए हैं। रवि किशन ने मंच से कहा, “4 दिसंबर को माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी खुद आएंगे समापन करने। तब तक गोरखपुर का हर बच्चा पहलवान बन जाएगा!”

अंतरराष्ट्रीय पहलवान पन्नेलाल यादव, दिनेश सिंह, चंद्र विजय सिंह जैसे दिग्गज मैदान में मौजूद थे। बच्चे ऑटोग्राफ लेने दौड़ रहे थे।

30 नवंबर से 4 दिसंबर तक – पांच दिन, सैकड़ों मुकाबले, अनगिनत सपने।  

गोरखपुर आज सिर्फ मेजबान नहीं, भारत के खेल भविष्य का गवाह बन गया है।

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