मनुष्य को चिंता रहित जीवन जीते हुए सत्य और प्रेम का ही आश्रय लेना चाहिए- ब्रह्मांस दास।
गोरखपुर।।
भगवान की भक्ति और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए हृदय में प्रेम का भाव प्रबल होना चाहिए। समर्पित भाव से ईश्वर से प्रेम करने वाले भक्तों को संसार से कोई कष्ट नहीं होता। जीवन में शांति के लिए हमें चिंता रहित होकर सत्य और प्रेम को आत्मसात करते हुए प्रसन्नता पूर्वक जीवन जीना चाहिए।
उक्त उद्गार खजनी रूद्रपुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन हनुमानगढ़ी अयोध्या से पधारे भागवत कथा व्यास ब्रह्मांसदास ब्रह्मचारी ने व्यक्त किए उन्होंने उपस्थित श्रद्धालु श्रोताओं को बताया कि कंस के श्वसुर और भगवान शिव के भक्त मगध नरेश जरासंध ने कंस वध का प्रतिशोध लेने के लिए 17 बार मथुरा पर चढ़ाई की जिसके कारण भगवान श्रीकृष्ण को मथुरा छोड़ कर जाना पड़ा और वो समुद्र के बीच द्वारिकापुरी में जा बसे, जिससे भगवान कृष्ण का एक नाम रणछोड़ कहलाया। इस दौरान भगवान कृष्ण और रूक्मिणी के विवाह की कथा के दौरान सुंदर झांकी सजाई गई। संगीतमय भागवत कथा में सुमधुर भजनों और कीर्तन की धुनों पर कथा पांडाल में उपस्थित लोग देर सायं तक भक्तिमय माहौल में झूमते रहे और भगवान श्रीकृष्ण रूक्मिणी के विवाह की लीला के प्रसंग का आनंद लिया। इसके साथ ही उन्होंने सत्यभामा विवाह, श्यामंतक मणि की चोरी जामवंती विवाह समेत भगवान के 16 हजार 108 विवाह की कथा का वर्णन करते हुए भगवान के बालसखा सुदामा की कथा सुनाई।
इस अवसर पर मुख्य यजमान पूर्व ग्रामप्रधान असमावती मिश्रा, प्रेमशंकर मिश्र, डॉ. उदय प्रकाश मिश्र जयप्रकाश तिवारी गणेश शंकर मिश्र संजय मिश्र श्रीप्रकाश मिश्र ओमप्रकाश वल्लभाशरण समेत बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद रहे।