परिषदीय स्कूल विलय मामला: हाईकोर्ट की खंडपीठ ने दो अपीलें कीं निस्तारित, सरकार के नए सर्कुलर को बताया आधार
लखनऊ, 20 नवंबर। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों के विलय (मर्जर) से जुड़े विवाद में बड़ी राहत देते हुए एकल पीठ के फैसले के खिलाफ दाखिल दो विशेष अपीलों को निस्तारित कर दिया। खंडपीठ ने राज्य सरकार के 27 अगस्त के आदेश व सर्कुलर को आधार बनाते हुए अपीलों का निपटारा किया और बेसिक शिक्षा विभाग को इन दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करने का आदेश दिया।
मामला सीतापुर सहित कई जिलों में परिषदीय स्कूलों के जबरन विलय से जुड़ा था। बीते 24 जुलाई को न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल पीठ ने विलय प्रक्रिया में सामने आईं गंभीर अनियमितताओं को देखते हुए सीतापुर के स्कूलों के विलय पर यथास्थिति बनाए रखने का अंतरिम आदेश दिया था। एकल पीठ के इस फैसले को राज्य सरकार ने खंडपीठ में चुनौती दी थी।
बुधवार को मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली व न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश मुख्य स्थायी अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह द्वारा दाखिल 27 अगस्त के सरकारी आदेश/सर्कुलर पर गौर किया। सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि अब जिन प्राथमिक स्कूलों में 50 से अधिक बच्चे नामांकित हैं तथा जिनकी दूसरे स्कूल से दूरी एक किलोमीटर से अधिक है, उनका विलय नहीं किया जाएगा।
खंडपीठ ने सरकार के इस स्पष्ट सर्कुलर को स्वीकार करते हुए दोनों विशेष अपीलों को निस्तारित कर दिया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि एकल पीठ का 24 जुलाई का अंतरिम आदेश स्कूल विलय की नीति की मेरिट पर कोई टिप्पणी नहीं था, बल्कि केवल अनियमितताओं को देखते हुए दिया गया था। अब नए दिशा-निर्देश लागू होने से उन स्कूलों को राहत मिलेगी जो तय मानकों में आते हैं।
अधिवक्ताओं के अनुसार इस फैसले से प्रदेश भर में हजारों परिषदीय स्कूलों के शिक्षक, अभिभावक और बच्चे प्रभावित होंगे, जिनके स्कूल विलय की जद में थे। सरकार ने कोर्ट में यह भी आश्वासन दिया कि पूर्व में हुई गलतियाँ अब नहीं दोहराई जाएंगी और मानक पूरा करने वाले स्कूल पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे।















