लेखपाल की गलती सुधारी, एसडीएम-तहसीलदार की तत्परता से काश्तकार को मिली राहत
गोरखपुर। तहसील सदर के एक काश्तकार को लेखपाल की गलती से खतौनी में त्रुटि के कारण तहसील के चक्कर लगाने पड़े। काश्तकार को कानूनगो, लेखपाल और कंप्यूटर ऑपरेटर के बीच दौड़ना पड़ा, लेकिन एसडीएम सदर दीपक गुप्ता और डिप्टी कलेक्टर/तहसीलदार ज्ञान प्रताप सिंह की तत्परता से उसी दिन खतौनी दुरुस्त हो गई।काश्तकार ने बताया कि उसका गाँव 2008 में सर्वे में शामिल हुआ था, जिसके बाद कंप्यूटरीकृत खतौनी नहीं मिल रही थी।
2022 में तत्कालीन जिलाधिकारी ने 43 गाँवों की खतौनियों को कंप्यूटरीकृत करने का प्रस्ताव राजस्व परिषद को भेजा। अनुमोदन के बाद अंश निर्धारण हुआ, लेकिन खतौनी में गाटा संख्या 707 ढ के बजाय 707 छ दर्ज हो गई। यह गलती लेखपाल की लापरवाही से हुई।
काश्तकार ने यह त्रुटि एसडीएम और तहसीलदार को बताई। अधिकारियों ने तत्काल कानूनगो और लेखपाल को सुधार के निर्देश दिए। लेखपाल ने गलती स्वीकार कर खतौनी संशोधित की, लेकिन कंप्यूटर ऑपरेटर की तकनीकी आपत्तियों से देरी हुई।
एसडीएम और तहसीलदार ने देर शाम हस्तक्षेप कर उसी दिन त्रुटि सुधरवाकर खतौनी काश्तकार को सौंप दी।एसडीएम-तहसीलदार की संवेदनशीलता से काश्तकार को राहत मिली और प्रशासन पर भरोसा बढ़ा। काश्तकार ने कहा, “उनके हस्तक्षेप के बिना सोमवार तक इंतजार करना पड़ता।” यह मामला दर्शाता है कि अधिकारियों की तत्परता से किसान की परेशानी उसी दिन हल हो सकती है।