इंडियन सोसाइटी ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी कॉन्फ्रेंस: फैटी लिवर और MASLD पर चर्चा
गोरखपुर। इंडियन सोसाइटी ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के नेशनल कॉन्फ्रेंस में शनिवार को नॉन-एल्कोहलिक लिवर डिजीज पर गहन चर्चा हुई। सत्र की अध्यक्षता कर रहे विशेषज्ञ ने बताया कि बदलते समय में लिवर की बीमारियाँ अब केवल शराब पीने वालों तक सीमित नहीं हैं।
नॉन-एल्कोहलिक व्यक्तियों में भी मेटाबॉलिक डिसफंक्शन एसोसिएटेड स्टीटोटिक लिवर डिजीज (MASLD) तेजी से बढ़ रही है।MASLD का मुख्य कारण मोटापा, डायबिटीज, ट्राइग्लिसराइड का बढ़ना और लिवर में चर्बी (फैटी लिवर) का जमाव है। विशेषज्ञ ने चेतावनी दी कि 90% से अधिक लोगों में फैटी लिवर की समस्या देखी जा रही है। यदि समय रहते इसे नियंत्रित न किया जाए, तो यह लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर स्थिति में बदल सकता है।
सिरोसिस होने पर दवाएँ राहत दे सकती हैं, लेकिन पूर्ण इलाज संभव नहीं।उन्होंने जोर देकर कहा कि स्वस्थ जीवनशैली ही इसका उपाय है। संतुलित खानपान, नियमित व्यायाम और सही दिनचर्या से मोटापा और लिवर की चर्बी को कम किया जा सकता है। “स्लिम रहें, फिट रहें, तंदुरुस्त रहें” का मंत्र देते हुए उन्होंने लिवर स्वास्थ्य पर ध्यान देने की अपील की। यह कॉन्फ्रेंस जनजागरूकता और चिकित्सा क्षेत्र में नए शोध को बढ़ावा देने का एक प्रभावी मंच साबित हुआ।