थरौली में 34.72 लाख का पशु शेड घोटाला उजागर।
संतकबीरनगर के थरौली में पशु शेड निर्माण के नाम पर 34.72 लाख रुपये की हेराफेरी, प्रधान और अधिकारियों पर कार्रवाई की तलवार….
संतकबीरनगर..
संतकबीरनगर जिले के मेंहदावल विकास खंड की ग्राम पंचायत थरौली में पशु शेड निर्माण के नाम पर 34.72 लाख रुपये के घपले का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। एक शिकायत के आधार पर गठित त्रिस्तरीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में ग्राम प्रधान, तकनीकी सहायक, तीन तत्कालीन सचिवों, और वर्तमान में नाथनगर के एडीओ पंचायत को दोषी पाया है। जांच में सामने आया कि पशु पालकों द्वारा अपने निजी संसाधनों से बनाए गए पशु शेडों को सरकारी योजनाओं के तहत निर्मित दिखाकर लाखों रुपये की राशि हड़प ली गई। इसके अलावा, कई अन्य परियोजनाओं में भी अनियमितताएँ पाई गईं, जिनके अभिलेख जांच टीम को उपलब्ध नहीं कराए गए। जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर ने सभी दोषियों को नोटिस जारी कर 15 दिनों के भीतर जवाब मांगा है, साथ ही संतोषजनक जवाब न मिलने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है।
शिकायत और जांच की शुरुआत
थरौली ग्राम पंचायत के निवासी अनिल कुमार दूबे ने पशु शेड निर्माण और अन्य विकास कार्यों में अनियमितताओं की शिकायत दर्ज की थी। इस शिकायत के आधार पर जिला प्रशासन ने त्रिस्तरीय जांच समिति गठित की। समिति ने गहन जांच के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जांच में पाया गया कि मनरेगा योजना के तहत पशु शेड निर्माण के लिए आवंटित धनराशि का दुरुपयोग किया गया। कई ग्रामीणों ने बताया कि उनके द्वारा स्वयं के संसाधनों से बनाए गए पशु शेडों को सरकारी दस्तावेजों में मनरेगा योजना के तहत निर्मित दिखाया गया, जिससे लाखों रुपये की राशि का गबन हुआ।
ग्रामीणों के बयान और अनियमितताएँ
जांच समिति ने ग्रामीणों से लिखित और मौखिक बयान लिए, जिनमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। कुछ प्रमुख मामलों में निम्नलिखित अनियमितताएँ सामने आईं:
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ज्ञानती पुत्र लल्लन: इन्होंने बताया कि उन्हें कोई पशु शेड नहीं मिला, केवल आवास प्रदान किया गया। इसके बावजूद 77,324 रुपये की वित्तीय अनियमितता दर्ज की गई।
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धर्मेंद्र पुत्र जयकरन: इन्होंने अपने निजी संसाधनों से पशु शेड बनवाया, लेकिन इसे मनरेगा योजना के तहत निर्मित दिखाया गया।
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रीता देवी पुत्री लोरिक: इन्होंने बताया कि उनके यहाँ कोई पशु शेड नहीं है, फिर भी 80,984 रुपये की अनियमितता पाई गई।
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राममूरत पुत्र रामदौर: इन्होंने स्वयं के संसाधनों से पशु शेड बनवाया, लेकिन इसे ग्राम प्रधान द्वारा निर्मित दिखाया गया।
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विमला पत्नी बिजली: इन्होंने भी अपने संसाधनों से पशु शेड बनवाया, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में इसे योजना के तहत दिखाया गया।
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बबलू पुत्र श्याम सुंदर: इन्होंने अपने द्वारा बनाए गए पशु शेड को सरकारी दस्तावेजों में शामिल किए जाने की बात कही।
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देवंता पत्नी राम रतन: इन्हें केवल टीनशेड और पाइप मिला, बाकी निर्माण स्वयं किया गया।
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अदालत पुत्र जोखई: इन्हें न आवास मिला न पैसा, फिर भी 11,074 रुपये की अनियमितता दर्ज की गई।
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सुरेश के माध्यम से राधेश्याम: इन्होंने बताया कि वे मुंबई में रहते हैं और उन्हें कोई पशु शेड नहीं मिला। 90,641 रुपये की अनियमितता पाई गई।
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गुड्डू: इन्हें ग्राम प्रधान द्वारा कोई पशु शेड नहीं दिया गया, फिर भी 80,363 रुपये की अनियमितता दर्ज की गई।
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गोरख पुत्र सोमई: इनके नाम पर दो आईडी जनरेट की गईं और दोनों पर भुगतान किया गया। एक पशु शेड मौके पर था, लेकिन दूसरा नहीं, जिससे 89,776 रुपये की अनियमितता सामने आई।
अन्य परियोजनाओं में भी गड़बड़ी
जांच समिति ने पशु शेड के अलावा अन्य परियोजनाओं में भी अनियमितताएँ पाईं। कई परियोजनाओं, जैसे राजू साहनी के घर से काली माता मंदिर तक इंटरलॉकिंग, रामदरश के घर से राम जानकी मंदिर तक इंटरलॉकिंग, आशा के घर से उमेश के पोखरे तक नाली निर्माण, और पंचायत भवन निर्माण आदि के अभिलेख जांच के दौरान उपलब्ध नहीं कराए गए। इससे इन परियोजनाओं में भी गबन की आशंका जताई जा रही है।
दोषियों पर कार्रवाई की तैयारी
जांच रिपोर्ट के आधार पर ग्राम प्रधान, तकनीकी सहायक, तीन तत्कालीन सचिव, और वर्तमान में नाथनगर के एडीओ पंचायत को दोषी पाया गया है। जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर ने सभी दोषियों को नोटिस जारी कर 15 दिनों के भीतर जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। यदि जवाब संतोषजनक नहीं हुआ या समय पर प्रस्तुत नहीं किया गया, तो ग्राम प्रधान के खिलाफ पंचायती राज अधिनियम की धारा 95(1)(जी) के तहत कार्रवाई की जाएगी। अन्य दोषियों के खिलाफ मनरेगा के दिशा-निर्देशों के अनुसार कदम उठाए जाएँगे।















