माता-पिता और गुरु ही जीते-जागते भगवान हैं : त्रिभुवन दास जी महाराज

माता-पिता और गुरु ही जीते-जागते भगवान हैं : त्रिभुवन दास जी महाराज

संतकबीरनगर। भिटहा स्थित “चतुर्वेदी विला” में स्वर्गीय पंडित सूर्य नारायण चतुर्वेदी की पुण्य स्मृति में आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन शुक्रवार को भक्तों की अपार भीड़ उमड़ पड़ी। कथा व्यास त्रिभुवन दास जी महाराज ने कहा, “आज के कलियुग में माता-पिता और गुरु ही जीते-जागते भगवान के स्वरूप हैं। इनकी सेवा और आज्ञापालन के बिना भगवान की सच्ची भक्ति संभव नहीं है। भागवत पुराण भी यही संदेश देता है।”

कथा में कलियुग के मानव जीवन में प्रवेश की रोचक प्रसंग सुनाते हुए महाराज जी ने बताया कि राजा परीक्षित को पूर्वजों ने बचपन से ही सिखाया था कि शत्रु भी शरण में आए तो उसे क्षमा कर देना चाहिए। राज्य भ्रमण के दौरान राजा को एक पैर से खड़ा घायल बैल (धर्म का प्रतीक) मिला। आगे बढ़ने पर कलियुग के रूप में एक राक्षस ने बैल पर कटार से प्रहार करने की कोशिश की। राजा ने तलवार निकाली तो कलियुग भयभीत होकर उनके चरणों में गिर पड़ा और शरण मांगी। पूर्वजों की शिक्षा का पालन करते हुए राजा परीक्षित ने कलियुग को क्षमा कर अपने राज्य में आश्रय दे दिया। तभी से कलियुग का मानव जीवन में वास स्थापित हो गया।

मुख्य यजमान चंद्रावती देवी के नेतृत्व में पूर्व विधायक दिग्विजय नारायण उर्फ जय चौबे, सूर्या ग्रुप चेयरमैन डॉ. उदय प्रताप चतुर्वेदी, एसआर ग्रुप एमडी राकेश चतुर्वेदी, दिव्येश चतुर्वेदी एवं रजत चतुर्वेदी ने कथा व्यास की आरती उतारी तथा आचार्यों को अंगवस्त्र भेंट किए। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष बलिराम यादव, गोमती प्रसाद चतुर्वेदी, सविता चतुर्वेदी, शिखा चतुर्वेदी, मयाराम पाठक, अभयानंद सिंह, आनंद ओझा, दिग्विजय यादव, अनिल मिश्र सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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