अधिग्रहित गांवों में विकास का हिसाब-किताब: प्रमुख सचिव ने गीडा से मांगी रिपोर्ट, हर साल 5 करोड़ के फंड का दावा.

अधिग्रहित गांवों में विकास का हिसाब-किताब: प्रमुख सचिव ने गीडा से मांगी रिपोर्ट, हर साल 5 करोड़ के फंड का दावा.

 

 गोरखपुर। गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) द्वारा अधिग्रहित गांवों में किए गए विकास कार्यों का हिसाब अब शासन के सामने पेश करना होगा। प्रमुख सचिव ने गीडा को पत्र भेजकर गांवों में कराए गए विकास कार्यों का विस्तृत ब्यौरा तलब किया है।

प्रदेश सरकार औद्योगिक विकास और फैक्ट्रियों की स्थापना के लिए तेजी से कदम उठा रही है। इसके तहत किसानों की जमीन अधिग्रहण कर औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जा रहे हैं। नियमों के मुताबिक, जमीन अधिग्रहण के साथ-साथ प्रभावित गांवों में विकास कार्य कराना भी गीडा की जिम्मेदारी है। हालांकि, अक्सर यह आरोप लगता रहा है कि अधिग्रहित गांवों में विकास कार्यों को नजरअंदाज कर लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है।

मंत्री परिषद की बैठक में इस मुद्दे पर सवाल उठने के बाद प्रमुख सचिव (औद्योगिक एवं स्थापना विकास) ने गीडा को पत्र लिखा। पत्र में साफ निर्देश दिए गए हैं कि अधिग्रहित गांवों की समस्याओं के समाधान के लिए एक ठोस संस्थागत व्यवस्था तैयार की जाए और एक माह के भीतर इसकी रिपोर्ट शासन को सौंपी जाए। साथ ही, जब तक यह व्यवस्था लागू नहीं होती, तब तक गांवों में बैठकें आयोजित कर समस्याओं का त्वरित समाधान करने के आदेश दिए गए हैं।

गीडा के तहत सहजनवां, सदर और गोला तहसील में करीब 100 गांव अधिसूचित किए गए हैं। इस संबंध में गीडा के सीईओ अनुज मलिक ने बताया कि अधिग्रहित गांवों के विकास के लिए हर साल 5 करोड़ रुपये का फंड आवंटित होता है, जिसके जरिए जरूरत के हिसाब से कार्य कराए जाते हैं।

 

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