हॉकी के 100 वर्ष: गोरखपुर में महिला-पुरुष मैचों का रोमांच, एफएमडी एकेडमी बनी चैंपियन
खेल भावना और अनुशासन से युवाओं को नई दिशा क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी
गोरखपुर। भारत में हॉकी के गौरवशाली 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में शुक्रवार को नीलसन स्पोर्ट्स स्टेडियम में क्षेत्रीय खेल कार्यालय द्वारा भव्य महिला एवं पुरुष हॉकी मैचों का आयोजन किया गया। हॉकी फेडरेशन ऑफ इंडिया की स्थापना (1925) के शताब्दी वर्ष को समर्पित इस कार्यक्रम में खिलाड़ियों का जोश, दर्शकों का उत्साह और खेल की भावना चरम पर रही।
कार्यक्रम का शुभारंभ क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी रमेश सिंह की मुख्य आतिथ्य में हुआ। उन्होंने खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कहा, “हॉकी भारत का राष्ट्रीय गौरव है, जिसने ओलंपिक में 8 स्वर्ण पदक जीतकर विश्व में तिरंगा लहराया। इसके 100 वर्ष पूरे होना खेल इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है। ऐसे आयोजन युवाओं में अनुशासन, परिश्रम और टीमवर्क की अलख जगाते हैं।”
महिला मैच: पासिंग और आक्रमण का शानदार प्रदर्शन
महिला वर्ग में दोनों टीमों ने बेहतरीन ड्रिबलिंग, सटीक पासिंग और तेज आक्रमण से मैदान पर आग लगाई। दर्शक दीर्घा तालियों से गूंज उठी। हर गोल प्रयास ने रोमांच को नई ऊंचाई दी।
पुरुष फाइनल: शूटआउट में एफएमडी एकेडमी की जीत
पुरुष वर्ग का मुकाबला एफ.एम.डी. एकेडमीऔर नीलसन स्पोर्ट्स स्टेडियम टीम के बीच रहा। पूर्ण समय तक बराबरी के बाद शूटआउट में एफएमडी एकेडमी ने 3-2 से जीत हासिल कर ट्रॉफी पर कब्जा जमाया। खिलाड़ियों की फुर्ती, रणनीति और दबाव में संयम ने सभी को प्रभावित किया।
मुख्य अतिथि रमेश सिंह ने विजेता एवं उपविजेता टीमों को ट्रॉफी, मेडल और प्रमाणपत्र प्रदान किए। उन्होंने कहा, “खेल जीवन का दर्पण है। हार-जीत से ऊपर उठकर खेल भावना को अपनाएं।”
खेल कार्यालय की प्रतिबद्धता
आयोजन में उपस्थित अन्य अधिकारियों एवं प्रशिक्षकों ने हॉकी के इतिहास मेजर ध्यानचंद की जादुई स्टिक से लेकर आधुनिक युग की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। खिलाड़ियों ने इसे “स्थानीय प्रतिभा के लिए सुनहरा मंच” बताया।
क्रीड़ा अधिकारी ने समापन में घोषणा की: “भविष्य में ऐसे आयोजन नियमित होंगे। गोरखपुर को हॉकी का नया गढ़ बनाएंगे।” उन्होंने सभी खिलाड़ी, कोच, आयोजन दल और दर्शकों को हार्दिक धन्यवाद दिया।
यह आयोजन न केवल हॉकी के शताब्दी वर्ष का उत्सव था, बल्कि युवा पीढ़ी के लिए अनुशासन और खेल भावना का जीवंत पाठ भी।















