डॉ. शिव शंकर शाही ने लखनऊ में नसों की बीमारी पर कार्यशाला में दी विशेषज्ञ सलाह
लखनऊ। संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SGPGI) में 26 सितंबर 2025 को नसों की बीमारी पर आयोजित कार्यशाला में गोरखपुर के सुप्रसिद्ध सर्जन डॉ. शिव शंकर शाही ने उत्तर प्रदेश एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया की ओर से वक्ता के रूप में हिस्सा लिया। डॉ. शाही ने खून पतला करने वाली दवाएं लेने वाले गंभीर मरीजों के ऑपरेशन की जटिलताओं पर वक्तव्य दिया।
डॉ. शाही ने बताया कि हृदय वाल्व या स्टेंट वाले मरीजों को खून पतला करने वाली दवाएं लेनी पड़ती हैं। दवा बंद करने पर थक्का बनने और ऑपरेशन के दौरान रक्तस्राव का खतरा रहता है। ऐसी स्थिति में विशेष दवाओं और उच्च तकनीक से ऑपरेशन कर खून के थक्के और रक्तस्राव को नियंत्रित किया जाता है। यह “दोहरी तलवार” जैसी चुनौती है। उनकी विधि की सराहना हुई, जो विश्व स्तर पर अपनाई जाती है।
कार्यशाला में मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, अहमदाबाद, हैदराबाद, केरल और तमिलनाडु से आए विशेषज्ञ चिकित्सकों ने लेजर सर्जरी, रेडियो फ्रीक्वेंसी अब्लेशन और इंडोवैस्कुलर तकनीकों पर चर्चा की। डॉ. शाही ने बताया कि शाही ग्लोबल हॉस्पिटल, गोरखपुर में ये तकनीकें पहले से उपयोग हो रही हैं।
मुख्य आयोजक डॉ. बृजेश कुमार सिंह ने डॉ. शाही से गोरखपुर में ऐसी कार्यशाला आयोजित करने का अनुरोध किया, ताकि ग्रामीण और छोटे कस्बों के चिकित्सक भी नई तकनीकों से अवगत हों। डॉ. शाही ने जल्द आयोजन का वादा किया।
चिकित्सकों ने वैस्कुलर अल्ट्रासाउंड, फूली नसों का लेजर ऑपरेशन और पुराने घावों के उपचार पर भी चर्चा की। यह कार्यशाला नई तकनीकों को अपनाने और हर व्यक्ति तक पहुंचाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।















