स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर विवाद गहराया, उपभोक्ता परिषद ने लगाए तकनीकी खामियों के आरोप
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर विवाद चरम पर पहुंच गया है। शनिवार, 20 सितंबर 2025 को उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के वेबिनार में उपभोक्ताओं ने स्मार्ट मीटरों के तेज चलने, घटिया क्वालिटी और नए कनेक्शन पर अत्यधिक शुल्क वसूलने के आरोप लगाए। दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन (UPPCL) प्रबंधन ने इन्हें बिलिंग में पारदर्शिता लाने का सशक्त माध्यम बताया।
उपभोक्ताओं की शिकायतें
वेबिनार में प्रदेशभर से जुड़े उपभोक्ताओं ने कहा कि बिजली कर्मी बिना उनकी सहमति के मीटर लगा रहे हैं। लो वोल्टेज और स्टेबलाइजर के उपयोग पर मीटर की रीडिंग तेज हो रही है, जबकि छूट के तहत बिल में 2% कमी आनी चाहिए। नए कनेक्शन के लिए 6,000 रुपये वसूले जा रहे हैं, जबकि RDSS योजना में मीटर का मूल्य 10 वर्षों में वेंडर को चुकाया जाएगा। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इसे अनुचित ठहराते हुए सभी मीटरों की तकनीकी जांच की मांग की। वर्मा ने मध्यांचल और पूर्वांचल निगमों से बढ़ती शिकायतों पर प्रबंध निदेशकों से तत्काल स्थिति स्पष्ट करने को कहा।
तकनीकी खामियों का आरोप
वर्मा ने बताया कि मानकों के अनुसार, लो वोल्टेज पर मीटर को स्वतः बंद हो जाना चाहिए, लेकिन यदि मीटर फिर भी चल रहा है, तो यह तकनीकी खामियों का संकेत है। उन्होंने 2.75 लाख मीटरों में चीनी कंपोनेंट्स के उपयोग और गलत पावर फैक्टर रिकॉर्डिंग जैसी समस्याओं का हवाला दिया। उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में जनहित याचिका दायर कर बिना सहमति प्रीपेड मोड में कन्वर्जन को विद्युत अधिनियम 2003 का उल्लंघन बताया।
पावर कॉर्पोरेशन का दावा
UPPCL के अनुसार, प्रदेश में 40 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं, जिनमें 45,966 सरकारी कार्यालयों में हैं। चेयरमैन डॉ. आशीष कुमार गोयल ने निर्देश दिए कि मीटर लगाने से पहले उपभोक्ताओं को पूरी जानकारी दी जाए। UPPCL स्मार्ट कंज्यूमर ऐप के जरिए उपभोक्ता प्रतिदिन और प्रति घंटे खपत देख सकते हैं। कॉर्पोरेशन का लक्ष्य 2.73 करोड़ मीटर लगाने का है। हालांकि, 6.22 लाख पुराने मीटर जमा न होने और रीडिंग शून्य होने से राजस्व हानि की आशंका है, जिसके लिए सीतापुर में FIR दर्ज की गई है।