मानव जीवन भोग नहीं, परमात्मा प्राप्ति का अवसर है : त्रिभुवन दास जी महाराज
चतुर्वेदी विला भागवत कथा – चौथा दिन
संतकबीरनगर। भिटहा स्थित “चतुर्वेदी विला” में चल रही नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन शनिवार को कथा-व्यास त्रिभुवन दास जी महाराज ने कहा, “सनातन धर्म में मानव जन्म भोग के लिए नहीं, परमात्मा की प्राप्ति के लिए मिला है। इसे व्यर्थ गँवाने के बजाय भगवान की शरण में लीन होकर माया से मुक्ति पाना चाहिए।”
महाराज जी ने सृष्टि-रचना का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि भगवान ब्रह्मा की दाहिनी भुजा से मनु और बाईं भुजा से सतरूपा की उत्पत्ति हुई। ब्रह्मा की विशेष कृपा से ही स्त्रियों में चंद्रमा-सी शीतलता और पुरुषों में सूर्य-सा तेज होता है। उन्होंने गोधूलि बेला में भोजन, निद्रा, संसर्ग और अध्ययन से दूर रहने तथा सूर्योदय से पूर्व उठने की सीख दी। कहा, “सूर्योदय का दर्शन न करने वालों से माँ लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं।”
कथा शुरू होने से पूर्व चतुर्वेदी विला की मुखिया चंद्रावती देवी के नेतृत्व में पूर्व विधायक दिग्विजय नारायण उर्फ जय चौबे, सूर्या ग्रुप चेयरमैन डॉ. उदय प्रताप चतुर्वेदी, पूर्व प्रमुख राकेश चतुर्वेदी, दिव्येश चतुर्वेदी, राजन चतुर्वेदी एवं रजत चतुर्वेदी ने बाल-गोपाल एवं कथा-व्यास की भव्य आरती उतारी। डॉ. उदय प्रताप चतुर्वेदी ने पत्रकारों, गणमान्यों एवं सैकड़ों श्रद्धालुओं को अंगवस्त्र भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस अवसर पर सूर्या की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सविता चतुर्वेदी, एसआर की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर शिखा चतुर्वेदी, जिला पंचायत अध्यक्ष बलिराम यादव, नितेश द्विवेदी, मनोज पांडेय, वेद प्रकाश पांडेय, आशुतोष पांडेय, दिग्विजय यादव सहित हजारों श्रोता उपस्थित रहे।















